अलविदा कहते उन पंछियों को आवाज़ लगाती मैं
ले जाओ लिफाफे में बंद मेरी धड़कनें पिया की गली,
कह दो लाल रंग उसके नाम का इंतज़ार करता है ।
ले जाओ लिफाफे में बंद मेरी धड़कनें पिया की गली,
कह दो लाल रंग उसके नाम का इंतज़ार करता है ।
इन पंछियों को अजब सी घिन सिंदूरी लालिमा से,
शायद पंख खून की कीचड़ के धब्बों से सन गए हैं ।
सावन में पतझड़ जैसे मायूस वह अब चहचहाते नहीं,
काले धुंए में पिया का घर धुंधला सा नज़र आता उन्हें
और मैं उम्मीद के दाने छज्जे पर बिखेरते रहती ।
शायद पंख खून की कीचड़ के धब्बों से सन गए हैं ।
सावन में पतझड़ जैसे मायूस वह अब चहचहाते नहीं,
काले धुंए में पिया का घर धुंधला सा नज़र आता उन्हें
और मैं उम्मीद के दाने छज्जे पर बिखेरते रहती ।
No comments:
Post a Comment