Dichterin(दिश्तेरिन)
Thursday, May 3, 2012
शुन्यता स्वप्न की ! (चित्र: जोसे रूज़वेल्ट)
मेरी आँखों का आधिक्य,
दूरस्थ परिधि दृष्टि में -
जीवित स्वप्न,
अक्सर बनते अवरोधक,
मेरे पर्यटक राग के
और मैं अवचेतन में घिरी,
स्वयं - संभवतः वास्तविक,
उत्कीर्ण करती मेरे अद्धुत को,
शुन्यता के मोहभंग में |
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment