वृद्धावस्था में लेते हुए चाय की चुस्कियाँ
हम समय सुरंग के सम्मोहन में होंगे लुप्त,
और विषाद के पलों का स्मरण करते हुए
हमारे हाथ चुम्बक जैसे समामेलित हो जायेंगे,
जीवन वास्तविक में चाहें हो एक अंतहीन गुम्बज,
सत्य रहेगा सिर्फ वृद्धावस्था में इसका प्रेम अनुग्रह,
जब नज़र आएगा विकसित होता हमारा स्वप्न लोक,
हमारा प्रेम सदाबहार के रूप में अक्षत हो जायेगा |
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