बनके माट्टी, बनके टहनी
खोजूँ तुझको मैं बावरिया
कुसुम उद्धारक मेघ ना बरसे
और अंखियों में प्रेम गगरिया
पलचिन पीहू तुझको पुकारूँ
परबत पे चलके मैं कांवडिया
गंगा की तट पे चंदा की धारा
और मेरे गेसू में खिले रात कजरिया
पग पग धरती पे साँवरिया
बनके माट्टी, बनके टहनी
खोजूँ तुझको मैं बावरिया
2 comments:
बहुत सुन्दर....
गहन अभिव्यक्ति.....
अनु
aapka aabhar hai Anu ji :)
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