को समझने की चेष्टा करते हुए,
रसातल से मेरी आत्मा को -
मुक्त किया प्रेम ने,
और तब जीवन मृत्यु की
कामुक आर्क की तरह
मुझे स्मरण हुआ -
अंधकार और मौन का
मेरे साथी - एकमात्र
प्रेम से वंचित दिनों में,
फिर इद्रियों के पंखों को
फैलाते हुए-
बनके फीनिक्स का रूपक
एकांत की सलाखों में
आनंद लेती आत्मा
प्रेम में उभरती - विमुक्त ।
2 comments:
Am so glad to see your blog.
Keep writing.
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