रक्त वाहिकाओं में प्रेम चक्रवात
प्रेम के विचित्र समामेलन ने,
तिलस्मी चुम्बक जैसे,
तुन्हारे अनंत स्नेह की दासी -
अविनाशी बंधक,
इस चक्रवात का बना लिया मुझे |
ये सुखद आश्चर्यों का संयोजन,
प्रज्वलित करता मेरी प्रतिभाओं को,
और एक मीठी स्मृति -
प्रशंसक बन ,
स्थायी निर्मित है,
अब मेरी रक्त वाहिकाओं में |
2 comments:
सौम्या जी, मैंने महसूस किया है कि आपकी रचनाओं में आत्मबोध या आत्मान्वेषण करता एक चिंतनशील मन, एक सक्रिय व्यक्ति, उदग्र सृजनशीलता और अथक ऊर्जा का जरूरी मुकाम विभिन्न रूपों में अभिव्यक्त होता है |
धन्यवाद सर...आपकी इस प्रशंसा की हक़दार मैं हूँ या नहीं, यह कहना मेरे लिए कठिन है परंतु मेरा एक भी रूप कोई भी मुकाम हासिल नहीं करना चाहता...मुकाम मिल गया तो मैं मर जाउंगी..इसलिए ऐसे ही सही है..काफ़िर सी ज़िन्दगी...
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