रात कजरारी मोरे नैनं में तू यूँ छुप जाना,
की फिर ना करे बेईमानी मोसे तोरा चंदा - (२)
तारों की डोली में जब मैं पिया घर जाऊँ
तू चाँदनी के पथ से मृदुंग बजाते आना,
फिर तेरी आभा से सजी मोरी बिछिया
खेले पिया संग सेज पर आँख मिचोली,
और होले से पनघट पे सखियों से कहना
मृग रसिया चंदा ने नाज़ुक कलइयां मरोड़ी
रात कजरारी मोरे नैनं में तू यूँ छुप जाना,
की फिर ना करे बेईमानी मोसे तोहरा चंदा - (२)
फिर ना करूँ मैं नटखट बरजोरी तोसे
की तेरी मीठी ओढनी में सोया मोरा चंदा,
श्याम रूप धारी तू भोर की किरणों संग
चुपके से पग पग मोहरे अंगना में आना,
और मेरे केसुओं में मोगरे की गंध से
सजा देना पिया संग मोरी बत्तियाँ,
रात कजरारी मोरे नैनं में तू यूँ छुप जाना,
की फिर ना करे बेईमानी मोसे तोरा चंदा - (२)
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