जीवन राख से बना एक बुलबुला
और चिता में भस्म होती कुंठा,
जैसे अज्ञात मनुष्य के विचारों में
कल्पना ग्रस्त जीर्ण - शीर्ण यथार्थ ।
जीवन तुषार से बना एक महा कुंड
और बादलों में भाप बनती अभिव्यक्ति,
जैसे अप्रिय मनुष्य की सरलता में
चेतना ग्रस्त तामसिक विकार ।
No comments:
Post a Comment