Sunday, August 19, 2012

पश्चाताप : अब्बास किअरोस्तामी की फिल्म FIVE से प्रेरित (तस्वीर: सोनू कुमार - एफ.टी.आई.आई)






हे वीर-नीर गगन गगरिया 
निगल जा मेरे अभेद मन की
गंदगी को अपनी पूर्णता में,
और मिश्रित कर दे मेरा 
मेरा समूचा कूड़ा-कड़कट, 
धैर्य से एकाग्रित - 
वो विचारों की खुराक 
अपने इस अवैध रसातल में, 
और उभरने दे मेरी नाक से 
शरीर के कण-कण को- 
पश्चाताप के बुलबुलों की तरह, 
इस सृष्टि के एकांत-प्रवाह में... 




















































































































Wednesday, August 15, 2012

दर-बदर (तस्वीर : सोनू कुमार - एफ.टी.आई,आई)






चल मेरे मन दर-बदर,
बेख़ौफ़ चल तू आज फिर -
थर-थराती ज़मीन पर,
गाड़ियों के बीच से,
अपनी आज़ादी खींच के,
पक्षियों को छोड़ के-
दूर किसी छोर पे,
लाल रंग में डूब के,
आसमान में चीखे भूल के,
अपनी आखें मूँद के,
चल मेरे मन दर-बदर,
थर-थराती ज़मीन पर...