Thursday, June 28, 2012

वाणी का अस्तित्व

(तस्वीर - द्वारा सोनू कुमार, फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्युट ऑफ इंडिया, पुणे)

क्यूँ है मेरी वाणी?          
शब्दों के लिए,
या भावनाओं के लिए,
कौन सुनता है?
इन शब्दों को,
कोई मित्र,
या कोई अजनबी?,
या वह भंग हो जाते
इस ब्रह्माण्ड में?

क्या है वाहन,
इन शब्दों का?
श्वास में छिपी वायु?
और भावनाएँ
किस प्रवाह में?
दिशाहीन -
शब्दों से वंचित,
वायु कि स्मृति में,
अब एक अजनबी -
अनगिनत शब्दों कि |

मेरे श्रोता खोजते
मेरे शब्दों को,
मेरी भावनाएँ खोजें
अपने श्रोता को,
तत्पश्चात गुप्त है-
कारण मेरी वाणी का,
इन हवाओं में खोजता
मिश्रण शब्दों का -
श्रोता से -
अंत में स्थायी भावनाओं से |