Saturday, December 22, 2012

नारी ( चित्र : महिषासुर मर्दिनी, महाबलीपुरम )



नारी नारी नारी
जगत जनम जननी,
नारी नारी नारी
ह्रदय सम्मोहन संगिनी,
नारी नारी नारी 
प्रेम मधुर अर्धांगिनी,
नारी नारी नारी
त्रिलोक व्यथा विनाशिनी,
नारी नारी नारी
हरजाई नर पिशाचिनी,
नारी नारी नारी
महिषासुर वध मर्दिनी, 
नारी नारी नारी
संबोधन व्यक्तिवाचक 'दामिनी'...






Thursday, December 20, 2012

मेरी स्कर्ट से ऊँची मेरी आवाज़ है...



कपड़े तू फाड़े और लाज बचाऊँ मैं,
नज़र तेरी बुरी और आँचल ओढूँ मैं,
इज्ज़त तेरी बढ़े और कोठा सजाऊँ मैं
बीस्ट तू बने और ब्रेस्ट छुपाऊँ मैं,
पाप तू करे और शोक मनाऊँ मैं,
कीचड़ तू उछाले और ताने खाऊँ मैं,
भूख तुझे लगी और लहू बहाऊँ मैं...

Monday, December 10, 2012

मृत अनह्र से क्षमा याचना - (चित्र : अंजलि इला मेनन)




मुझे क्षमा कीजिये मेरे मृत अनहृ यदि मैं आपकी अंतिम यात्रा सम्बन्धी अनुष्ठानों में नहीं आ सकी |इस नैतिक रूप से घृणित फैसले की वजह सिर्फ मेरा डर है जो मुझे मूक और शुष्क बना देता है | डर स्वयं की अंतिमयात्रा की कल्पना या आग में भभकते मेरे हड्डी-मांस में मिश्रित उन लकड़ियों की चुभन का नहीं | परन्तु स्पष्ट मार्ग से आता एक ऐसा आकस्मिक डर जिसमें मेरे अंतर्ज्ञान को प्रकृति के उस छोटे से कण के विनाश का, यानि की तुम्हारा मेरे मृत अनह्र, आभास पूर्व ही हो जाता है |इस वरदान या शाप के पीछे मेरे पास कोई तर्क नहीं बस इतना की ये मुझे मेरे स्वयं के सामने बहुत मजबूर और अपराधी-सा बना देता है | यदि तुम्हारी राख की मर्म में पड़े सिक्के मेरे पास लौट आयें, तो मैं उनसे हमारे क्षणों के संस्मरण में संतरे की गोलियाँ फिर से खाके अपने डर के अपराध-बोध से मुक्त हो जाऊँ...

Thursday, December 6, 2012

दुनिया ( चित्र : 'लास्ट जजमेंट' द्वारा मैकलएंजेलो )




दीवारों पे चिपकी खूनी पीक तू,
नंगे शिशु की अभागी चीख तू,
बाँझ की ममता भरी कोख तू,
दीन की जीभ पे लटकी भूख तू,
सत्य के चीथड़े मलबे में झोंक तू,
भोले को घिसते खुरों में ठोक तू, 
अरमानों में घुसा महंगी नोक तू,
गलते मांस की गंध न रोक तू,
पाप की ख्याति से न चूक तू,
दूषण बहती हवा में रह मूक तू,
क्रोध के अंगारे मुंह से फूँक तू ,
आ दुनिया मुझ पे मैल थूक तू...