Wednesday, February 29, 2012

शब्द ही सम्पूर्ण है


क्या है जो हमें मनुष्य के रूप में परिभाषित करता है?विख्यात थाई लेखक और राजनियक Luang Wichit Wathakan के अनुसार इसका उत्तर है "जीवन भर संघर्ष करने की हमारी प्रवृति"| परन्तु इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है अपनी शख्सियत को एक धारा में शब्दों में परिवर्तित कर पाने का वरदान|शब्द हमारे जीवन की सम्पूर्ण व्याख्या है, इस बात का विचार किये बिना कि उस क्षण हम किस स्तिथि में है,मूर्त या अमूर्त|संक्षिप्त में कहा जाये तो जीवन का एक अर्थ शब्दकोष है,जिसमें भाव और क्रिया अक्षर का कार्य करते हैं| किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान कि व्याख्या बिना शब्दों के महत्वहीन और निरर्थक बन जाती है, जिसके कारण जीवन समुर्छित (state of coma) होने का अनुभव करता है|


रिश्तों में शब्दहीन अवस्था, काले साये की उदारता में ढले हुए शमशान में पड़े कंकाल की तरह है| एक नीरस सूखापन उन दो या उससे ज्यादा व्यक्तियों के बीच नज़र आता है जहाँ शब्दों का आदान-प्रदान नहीं होता| शब्द किसी भी रिश्ते में वरदान और अभिशाप दोनों का काम करते हैं, परन्तु ध्यान देने वाली बात यह है कि रूप कुछ भी हो, शब्द ही रिश्तों को उनका अस्तित्व देने वाली कड़ी है| एक उदहारण हम German निर्देशक Fassbinder की फिल्म 'Chinese Roulette' में देखते हैं, जहाँ Angela और उसके माता-पिता के बीच शब्दों की कमी होने की वजह से उनके रिश्ते में वैध कुछ भी नहीं रह जाता| 'Chinese Roulette ' के खेल का तत्व भी शब्द ही है, जिसे बातचीत से वंचित Angela फिल्म के सभी पात्रों का विवरण करने में इस्तमाल करती है|अर्थात शब्द ही सत्य है, जो हर व्यक्ति का समस्त,शुरुआत और अंत है|