Saturday, March 3, 2012

मैं हूँ तुम्हारी आत्मा




मैं एक आत्मा, एक नन्हा सितारा,
तुम्हारी भौंहों के बीच अपने सिंहासन पर बैठी हूँ |
वहाँ से मैं अपने गंतव्य को स्पष्ट देखती हूँ,
सुनहरे लाल प्रकाश से आगे, विचारों के पंख लगाये उड़ती मैं |


मैं आत्मा आनंद के महासागर से उर्जा की खोज करती,
सभी दिशाओं से आती अध्यात्मिक धाराओं के,
सर्वोच्च स्तर पे खड़ी अपने भीतर को,
आनंद के प्रकाश से स्पंज की तरह भिगो रही हूँ |


मैं तुम्हारी इन्द्रियों के संग बह निकली हूँ भावों में,
सब में एक कामुक संबंध बनाते हुए|
तुम्हारे जीवन का असली उद्देश्य समझती,
अपनी रूचि का प्रतीक देती, मैं हूँ तुम्हारी आत्मा |