Sunday, April 15, 2012

एकीकरण


रात की - 
कन्जन्क्टीवाईटिस सी आँखों में,
मेरी कल्पना,                         
मेरे सपनो की गोधूली के बीच,
नज़र आती वह अदृश्य- मृगतृष्णा भूमि

तर्क-वर्णन करती,
मुझसे चंचल मैं,
"सत्य क्या है?

"यह जगह -
"जहाँ हम रहते हैं?",
यह गुम्बज - 
जैसे जीवन के ग्लोब पर स्थिर -
लघु कथा,

अंततः फिर प्रवेश होता,
मेरे जीवन प्रतिक पर,

रात और दिन का एकीकरण ।