Tuesday, January 31, 2012

नन्ही स्त्रियों की रहस्मय कामुकता(sexuality)...reading Lolita...


क्या हम नन्ही स्त्री की कामुकता का अनुमान साधारण व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और भावप्रधान तत्वों के अनुसार लगा सकते हैं?नन्ही कोमल स्त्रियों के लिए sexual desires जैसे शब्द पुरे महत्व और संजीदगी के साथ कहे जा सकते हैं?क्या लोगों का और इन तितलियों का अवलोकन इन शब्दों के प्रति एक सामान गलती से भी होता होगा?स्त्री जाती में hormonal growth कुछ 12-13 वर्ष की आयु से आरम्भ हो  जाती हैं, जब उन्हें उनके गुप्ताँग और उनसे जुड़े स्पर्शज्ञान का एहसास होता है| इसी समय वो एक बालिका और स्त्री के बीच के मझदार में अपने आप को फंसा और शायद निहत्था महसूस करती होगी| सोचने की बात यह है की इस नन्ही स्त्री के मन में आकर्षण किस प्रकार का उत्पन्न होता है? क्या उस डर और झिझक के भीतर दबी हुई राइ के दानों जैसी शारीरिक ज़रूरतें अपनी चरण सीमा तक पहुँच पाती होंगी?इसी पेचीदा सवाल का जवाब ढूंढ़ते हुए वो teenage के मध्यम स्तर तक पहुँच जाती है जो की 15-17 वर्ष की आयु होती है| इस समय उसके मन का संकोच और शारीर का बेढोल रहना भी कम होने लगता है, इसका सबसे उप्रयुक्त और सहमत उत्तर hormonal changes की गतिविदियों में स्थिरता आना है|यह बात की शायद वो अपनी शारीरिक ज़रूरत को धीरे धीरे समझ रही है किसी सभ्य व्यक्ति के सोच से बहार क्यूँ है? उसका नीरस बेरंग सा रहना या बगावत करना शायद उसकी यौन इच्छाओं से उत्पन हुआ भावात्मक विस्फोट होगा|उससे उम्र और कद में ज्यादा सयाने लोग उसकी इस प्रकार की नाजायज़ सी ज़रूरत को शायद उसका बचपना समझ कर टाल देते हैं या फिर डांट फटकार मारकर उसे स्वयं अपनी ही कामुकता के भंवर में गोते लगाती हुई छोड़ देते हैं|मासूमियत का धागा चंचलता के मोतियों में से गुज़रते हुए उसे पूरी स्त्री में कब परिवर्तित कर देता है उसे वो और उसके आस-पास के लोग भी नहीं समझ पाते| प्रेम और वासना के बीच खिंची रेखा का तात्पर्य हर स्त्री के नज़रिए से उसके teenage के अनुसार भिन्न भिन्न कल्पना शक्ति में परिवर्तित हो जाता है|अंत में प्रशन यह उठता है की क्या वो नवजात स्त्री, शारीरिक और मानसिक दोनों सन्दर्भ में, अपने यौन सम्बंधित जूनून को सही ढंग से समझ पाती है या नहीं?...