Wednesday, August 15, 2012

दर-बदर (तस्वीर : सोनू कुमार - एफ.टी.आई,आई)






चल मेरे मन दर-बदर,
बेख़ौफ़ चल तू आज फिर -
थर-थराती ज़मीन पर,
गाड़ियों के बीच से,
अपनी आज़ादी खींच के,
पक्षियों को छोड़ के-
दूर किसी छोर पे,
लाल रंग में डूब के,
आसमान में चीखे भूल के,
अपनी आखें मूँद के,
चल मेरे मन दर-बदर,
थर-थराती ज़मीन पर...