कह दो बाबुल से, मखमल के बिस्तर पर, नींद करवट लेते हुए, भौचक्की हो कर ताकती, कमरे के सफ़ेद उजाड़ रंगों को|
मेरी नींद सूने वृक्ष के घोसलें में फँसी चिड़िया, इंतज़ार में तड़पती की कब दीवारें - बूँद बूँद, रंगीन पपड़ियाँ गिरा दें, और मैं सो जाऊँ, सपनों की बसंत में ।