Thursday, July 14, 2011

ख्वाब - बस यूँ ही !


मेरे दिल में ख़्वाब तो बहुत हैं,
मगर बयान करने को शब्द नहीं
बस देख ले एक नज़र आकाश में बादलों को -
कुछ काले कुछ सफ़ेद बदल,
बस ऐसे ही गहरे हल्के हैं मेरे ख़्वाब |



इन ख़्वाबों में कई बातें सोची हैं,
पर सब बातों की वजह नहीं जानती
बस देख ले दूर समुन्दर में - 
पानी के अनेक रंगों को,
बस ऐसे बदलते से रहें मेरे ख्वाब |



आर्ज़ुओं में ख्वाब या ख्वाबों में आर्ज़ू ,
नहीं जानती किसकी महिमा श्रेष्ठ है,
बस देख तेज़ बहती हवा को -
कभी इस छोर, कभी उस छोर,
बस यूँ ही मचलते से हैं मेरे ख्वाब ।


No comments: