Tuesday, July 24, 2012

विमुक्त फीनिक्स (चित्र:फिल्म 'साइलेंस' द्वारा इंगमर बर्गमैन)




रक्त में बहते अभेद्य अंधकार
को समझने की चेष्टा करते हुए,
रसातल से मेरी आत्मा को -
मुक्त किया प्रेम ने,
और तब जीवन मृत्यु की
कामुक आर्क की तरह
मुझे स्मरण हुआ -
अंधकार और मौन का
मेरे साथी - एकमात्र
प्रेम से वंचित दिनों में,
फिर इद्रियों के पंखों को
फैलाते हुए-
बनके फीनिक्स का रूपक
एकांत की सलाखों में
आनंद लेती आत्मा
प्रेम में उभरती - विमुक्त ।

2 comments:

nadi said...

Am so glad to see your blog.
Keep writing.

Saumya Sharma said...

thank you very much...i have also bookmarked ur blog to read it with my full attention...keep writing :)