Thursday, June 21, 2012

मनु बनाम ईश्वर (चित्र: फिल्म स्टॉकर)




 

जीवन त्रिकोण केंद्र में विराजमान कौन?
ईश्वर या मनुष्य?
यदि ईश्वर - तो केवल स्वयं का सत्य
हमारे लिए माननीय है,
यदि मनुष्य - तो वह एकांत ही
अपने राग को हास्य रूप देता है
यह राग-आत्मा और गुम्बज का घर्षण,
और इसमें सदेव गुप्त मनुष्य -
जैसे नवजात और असहाय शिशु,
क्यूँकी महान का सिद्धांत नरम है,
और व्यर्थ बल का प्रतीक,
जनम के रूपक हैं नरम एवं मासूमियत,
तत पश्चात मृत्यु के आगमन पर -
मनुष्य है कठिन और मजबूत
जैसे मिट्टी का बर्तन,
कठिन का विध्वंसक कोमल है -
अर्थात वांछनीय,
जैसे वसंत में इच्छित वृक्ष्य
और पतझड़ में प्रथक,
कोमलता जीवन का अवतार है,
कठिन मृत्यु का सारथी है - सदेव पराजित
और कोमलता गुप्त है-
मनुष्य हृदय के अथाह कुंड में ।



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