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Sunday, July 7, 2013

दोहे




1. सुख मैं भोगूँ, दुःख तू भोगे,फिर 'ईश' कहाँ से होए,

    माटी, मृग, मनु लागे चेतन, वन में चित जो खोये...


2. मल परिमल करिये सुधि जन,ऐसो प्रीत सजाए,
    ना राजा भजे ना रंक भजे कागा, जाने ना दोस पराए...


3. ना तेरा रहीम ना मेरा राम हो, पोथी पढ़-पढ़ जग बदनाम हो,
    प्रीत पराई से मन कैसो लगाऊँ, जब जन ही जन का हराम हो...


4. भूख ना देखे बासी भात, नींद ना देखे टूटी खाट
    मन का मैला निर्मल भया, भूल के प्रेम में जात-पात…


5. लाली खोजन ईश की मैं तो पग-पग जाऊँ,
    मिलो ना लाली प्रीत की, जग सुना ही पाऊँ,
    प्रेम की वाणी बोलके मन जो होये सुखिया,
    रघुवीरा तोहे छोड़ के, जीव-रीत अपनाऊँ...


6. ढाई आखर प्रेम जो पढिया मन का मालिक होवे,
     कहत पराया पेड़ जो काटे सब जग छाओं खोवे...


7. लाल लाली लहू से निर्धन मिले ना भात,
    भूखा बैरी सोत रहा जो नंगा नंदिये बात...


8. कागा जैसो मन हुआ तो आये घनेरी रात,
    रिपु अनमोल बोलिके कबहूँ ना खाए मात...