Sunday, February 16, 2014

यत्र-तत्र (तसवीर: वृत्तचित्र 'सो हेदान सो होदान द्वारा Anjali Monteiro & K.P Jayasankar)


कारावास में क्या है,                                 
मेरे अपराधों के लिए ?
जब यत्र, तत्र, सर्वत्र,
मैं बंदी हूँ,

और स्वतंत्रता - 
एक मात्र मोहभंग,
फिर मुझ पर क्रोधित
मेरा आतुर जीव -
निषेधित अपनी कुंठा में,
मूर्ख !
ग्रस्त इस मोह में,
जिसका स्व भाजित      
सर्व तंत्र से,
और स्वतंत्रता -
एक अभिलाषित पिशाच...


नोट : वृत्तचित्र सूफी कवी 'शाह अब्दुल भीटाई' की मोहक शब्दों की विरासत, संगीत पर आधारित एक काव्यगत संयोजन है...


http://vimeo.com/37237448

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